- वक़्त की सलवटों को तन पर ओढ़ लिया उसने
ताउम्र बिछौने की जरूरत ही ना रही
मंजरी - रोज़ एक गुलाब देकर छोड़ गया वो मुझे
काँटों में लिपटी सूखी पंखुड़ियों के साथ
मंजरी - कुमुदनी ने प्यार के नाम पर शादी का प्रस्ताव रखने वाले की अच्छी परीक्षा ली। प्यार वह चीज है जो अपने प्रिय को हर रुप में स्वीकार करता है। मंजरी शुक्ला जी की उम्दा कहानी "आखिर क्यों?" धरातल पर उतरा सत्य।……… कहानी पढने के लिए इस लिंक पर जाएंhttp://www.dailynewsactivist.com/Details.aspx?id=19457&boxid=28381034&eddate=6%2F10%2F2012#.T9PqL2pJqks.facebook — with Manjari Shukla.
- किस कदर मैं तनहा हुआ अपनों की भीड़ में
कि गैरों के पास ही सुकून मिला हमेशा
मंजरी - पीले बसंत से सुहाना मौसम बरसात का हैं
रोते भी हैं हम खूब और वो जान ही नहीं पाता
मंजरी
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