Posts

Showing posts from September, 2010

तेरी आँखें

तेरी आँखों के समंदर में डूब जाऊंगा तू बुलाएगी तो भी न बाहर आऊंगा यह जन्नत सबसे महफूज लगती है हर दर्द मै अब यही छुपाऊंगा कही बंद न कर लेना तू पलकें अपनी वरना अपनी परेशानी कहाँ ले जाऊंगा जब भी दुनिया से भागता हूँ तो यही छिपता हूँ आकर पर डर है यार कि तू गर भगा देगा तो कहाँ जाऊँगा