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तमाशबीन की सरहदों को देखा हैं किसने क़त्ल करके भी अनजान खड़े रहते है .... मंजरी
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उस मुकाम पे आ गया हूँ मैं मोहब्बत में तेरी बद्दुआ भी अब दुआ सी लगती है मुझे ... मंजरी 21 april 2015
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किसी की निगाह में जब मोहब्बत देखता हूँ तेरी बेवफ़ाई जार- जार रुलाती है मुझे वो करते है बात महफ़िलों की रौनक की अब तो बस तन्हाई ही लुभाती है मुझे... मंजरी 20 april 2015..