- मन के किसी कोने में बसा हैं वो ऐसे
शाम ढले मेरी तन्हाई साथ हो जैसे
मंजरी - तेरी यादों की कसक अभी बाकी हैं
उदास पलकों में नमी अभी बाकी हैं
तू ना समझना भूल गया हूँ तुझको
तेरी बेवफ़ाई की हद अभी बाकी हैं
मंजरी - मेरी मोहब्बत का उसने ये अंजाम दिया
खुद के मुताबिक मुझसे काम लिया
कभी राह का पत्थर तो कभी धूल बना दिया
कभी देवता मंदिर का तो कभी फूल बना दिया
मंजरी - दीदार- ए -हुस्न ना हुआ होता गर तेरा
मेरे लफ़्ज़ों में तन्हाई ना दिखाई देती
मंजरी - ईमानदारी से दुश्मनी निभाई उसने
तनहा करके भी, ना तनहा छोड़ा मुझे
मंजरी
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